tag:blogger.com,1999:blog-30806251520405694012024-03-13T23:42:50.369+05:30Let's Goमोहित धामा - "जाट" के यात्रा संस्मरणMOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-41766677690101903482020-12-16T21:06:00.001+05:302020-12-16T21:06:56.318+05:30ताडकेश्वर महादेव से वापस हरिद्वार वाया लैंसडाउन - २
13 ऑक्टूबर 2018, शनिवार
आज रविवार है और मैं ताडकेश्वर में हूँ। कल रात को ताडकेश्वर बाबा के दर्शन के बाद डिनर करके मैंं नीचे वाली धर्मशाला मेंं जाकर सो गया था। सुबह उठा तो देखा मेरे बगल वाले रुम में भी दो लडके सोये हुए हैं। येे लोग मेरठ से आये उन परिवारोंं के बच्चे हैं। रात मैं अपने रुम में आते ही सो गया था तो मुझे पता ही नही चला वो कब में आकर मेरे बगल वाले रुम में सो गये। MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-50454609835901890092018-11-01T10:23:00.000+05:302018-11-01T10:23:37.526+05:30नीलेश्वर महादेव से ताडकेश्वर महादेव की एक अचानक यात्रा - १
13 ऑक्टूबर 2018, शनिवार
हर रोज की तरह मैं आज भी ऑफिस गया। चुंकि प्लांट ऑपरेशन है, अत: हमारी ड्यूटी सुबह सात बजे से शुरु होती है। थोडा बहुत काम करने के बाद करीब साढे आठ बजे हम लोग चाय पीते हैं और थोडी बहुत गपशप करते हैं। हमेशा की तरह आज भी प्रदीप चाय बनाने लगा और हम ऑफिस वाले दोस्तों के बीच न जाने कैसे चर्चा शुरु हो गयी खैंट पर्वत की। कुछ महिनों पहले न्यूज में देखा था कि टिहरी MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-25951511171709075592018-07-24T09:00:00.001+05:302018-07-28T12:01:56.767+05:30पिंडारी ग्लेशियर यात्रा: खाती से वापस हरिद्वार,नैनीताल होते हुए
16 मई 2018, बुधवार
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कल शाम मैं और मोनू फुरकिया से पिंडारी ग्लेशियर देखकर वापस खाती पहुँच गए थे। पहले हमारा कफनी ग्लेशियर देखने का भी प्लान था, मगर वो कैंसिल हो गया था। हम कल शाम करीब सवा सात बजे थके हारे खाती के पीडब्लूडी गेस्टहाउस पहुँचे थे। कल हमनें एक दिन में अपने जीवन की सबसे ज्यादा ट्रैकिंग की थी - 33 किमी! थकानMOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-91021580247614423582018-06-22T15:27:00.001+05:302018-07-28T12:02:17.242+05:30पिंडारी ग्लेशियर यात्रा: फुरकिया से पिंडारी ग्लेशियर और वापस खाती गांव
15 मई 2018, मंगलवार
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आज हमारी पिंडारी यात्रा का चौथा दिन था और हम समुद्रतल से करीब 3200 मीटर की ऊंचाई पर पिंडारी ग्लेशियर मार्ग के अंतिम पडाव फुरकिया में थे। हमारे यात्रा प्लान के हिसाब से आज हमें आठ किमी दूर पिंडारी ग्लेशियर देखकर आना था और वापस द्वाली तक पहुंचना था। फिर कल द्वाली से कफनी ग्लेशियर देखकर वापस MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-83565823231035448842018-06-13T14:21:00.001+05:302018-07-28T12:02:34.457+05:30पिंडारी ग्लेशियर यात्रा: खाती से फुरकिया
14 मई 2018, सोमवार
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मैं और मोनू अपने पिंडारी ग्लेशियर अभियान पर कल गैरसैण से करीब 210 किमी बाइक चलाकर और 5 किमी ट्रैकिंग करके पिंडारी ग्लेशियर यात्रा मार्ग के अंतिम गांव खाती पहुंच गये थे। हमारा प्लान पिंडारी और कफनी दोनों ग्लेशियर देखने का था। आज हमें करीब 18 किमी की ट्रकिंग करके पिंडारी ग्लेशियर रूट पर MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-88074192506584946262018-06-02T10:41:00.001+05:302018-07-28T12:02:52.958+05:30पिण्डारी ग्लेशियर यात्रा: गैरसैण से खाती गांव
13 मई 2018, रविवार
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सुबह को आराम से छह बजे तक सोकर उठे। फ्रैश होकर और चाय पीकर यहाँ से
विदा ली। आज हमें दो सौ किमी से ज्यादा बाइक चलाकर द्वाराहट – बागेश्वर – कपकोट होते हुए खर्किया तक
जाना था और फिर वहां से आगे 5 किमी पैदल चलकर खाती गांव
पहुंचना था। गैरसैण से निकले तो सात बज गये थे मगर शहर में कोई खास चहल - MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-32271631738627440772018-05-20T22:11:00.000+05:302018-07-28T12:01:41.586+05:30पिंडारी ग्लेशियर यात्रा: हरिद्वार से गैरसैण
12 मई 2018, शनिवार
उत्तराखंड के चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ जिलों के मध्य स्थित उच्च हिमालयी क्षेत्र में नंदा देवी
पर्वतमाला रेंज है जिसमें भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी नंदादेवी (7816 मीटर) के साथ-2 नंदाघुंटी, नंदाकोट, नंदाखाट, त्रिशुल आदि अनेकों आसमान छूती
चोटियां हैं। नंदादेवी के आसपास इन सभी चोटियों समेत ये पूरा MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-34756034886490350592017-12-12T11:43:00.001+05:302018-07-31T09:25:06.807+05:30रुपकुंड से वापस हरिद्वार -बद्रीनाथ होते हुए
04 अक्टूबर, 2017
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आली बुग्याल समुद्रतल से करीब 3450-3500 मीटर की उंचाई पर स्थित बहुत ही सुंदर बुग्याल है। सुंदरता के मामले में आली, बुग्याल बेदनी से भी काफी आगे है। बेदनी में जहाँ भीड और गंदगी दिखती है वहीं आली में खूबसूरत मखमली घास,सुंदर ढलान और उसके नीचे खत्म होती ट्री लाइन अर्थात वृक्षरेखा - जैसा फिल्मों में दिखाते हैं एकदमMOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-91544153942236980472017-11-20T19:54:00.000+05:302018-10-15T09:44:48.658+05:30रुपकुंड ट्रैक: भगुवाबासा से रुपकुंड और वापस आली बुग्याल
03 अक्टूबर, 2017
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तीन
अक्टूबर की सुबह करीब पौने पांच बजे मैं सोकर उठा। असल में भगुवाबासा
ज्यादा ऊंचाई पर होने के कारण रात में ठीक से नींद ही नही आयी थी। बार -
बार आंख खुल जाती, मैं मोबाइल में देखता कि कितना समय हुआ है और सुबह के
इंतजार में फिर से सोने की कोशिश करता। आंखिरकार पौने पांच बजे मैं उठ गया।
थोडी देर तक टेंट में ही MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-86458894132057356402017-11-03T14:55:00.003+05:302018-07-31T09:25:54.516+05:30रुपकुंड ट्रैक: तीसरा दिन - बेदनी बुग्याल से भगुवाबासा
02 अक्टूबर, 2017
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आज दो अक्टूबर है। पूरा देश गांधी जयंति मनाने में जुटा पडा है - हाँलांकि देश के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी की भी जयंती आज ही है। मैं अपने रुपकुंड मिशन पर हूँ और कल लोहाजंग से चलकर बेदनी बुग्याल तक पहुंच चुका हूँ। कल की यात्रा के दौरान मेरी कम्पनी के ही 3-4 लोग मिले थे जो बेदनी तक मेरे साथ आयेMOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-25870870613835987442017-10-26T13:40:00.000+05:302018-07-31T09:26:24.187+05:30रुपकुंड ट्रैक: दूसरा दिन - लोहाजंग से बेदनी बुग्याल
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01 अक्टूबर, 2017
जैसा कि पिछली पोस्ट में बताया जा चुका है कि कोई साथी न होने की वजह से मैं अकेला ही रुपकुंड ट्रैक पर निकल गया था और कल हरिद्वार से चलकर लोहाजंग तक पहुंच गया था। आज मेरी योजना लोहाजंग से चलकर बेदनी बुग्याल तक पहुंचने की थी। उसके लिए पहले स्कूटी से 12 किमी दूर वाण गांव पहुंचना होगा और फिर वहां से 12 किमी ट्रैकिंग करके एक बहुत हीMOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-45776690063654633192017-10-12T16:50:00.001+05:302018-07-31T09:23:38.003+05:30रूपकुंड ट्रैक - हरिद्वार से लोहाजंग
30 सितम्बर, 2017
उत्तराखंड के चमोली जिले में गढवाल और कुमाऊं की सीमा पर एक विशाल पर्वत गुच्छ है - नंदा देवी रेंज। जिसमें नंदा देवी (भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी - करीब 7800 मीटर), त्रिशूल (7150 मीटर के करीब), नंदाघुंटी, नंदाकोट, नंदाखाट, मृगथुनी आदि अनेकों पूरे वर्ष हिमाच्छादित रहने वाली चोटियां हैं। यह पूरा इलाका नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के नाम से जाना जाता है। यहीं पर करीब 16000 MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-8831063295953739712017-06-23T17:30:00.001+05:302017-06-25T12:24:56.954+05:30केदारनाथ दर्शन और वापसी की यात्रा
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03 मई, दिन बुधवार
आज तीन मई है।आज केदारनाथ के कपाट खुलने हैं। हम लोग - मैं, मोनू, विकास और "पंडत" कल शाम ही केदारनाथ पहुंच चुके हैं और यहाँ स्थित गढवाल मंडल विकास निगम वालों की टेंट नगरी के एक टेंट में रुके हुए हैं। इस टेंट में हम चारों के अलावा तीन बंगाली लोग और तीन अन्य किसी राज्य से आये लोग भी रुके हैं जो सुबह हमारे जागने से पहलेMOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-57343824018534636162017-05-28T12:09:00.002+05:302017-06-24T12:35:23.787+05:30केदारनाथ यात्रा: तीसरा दिन - गौरीकुंड से केदारनाथ
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2 मई, दिन मंगलवार
सुबह छहः बजे से पहले ही मेरी आंख खुल गयी। आंख क्या खुली बल्कि रात भर ठीक से नींद ही नहीं आयी थी। मेरे बराबर में विकास तो दूसरी ओर मोनू के बगल में "पंडत" रात भर जम के खर्रांटे मारते रहे थे। मेरे साथ ये एक दिक्कत है कि अगर बगल में कोई खर्रांटे ले रहा हो तो मुझे नींद नही आती। और मुझे क्या शायद किसी को भी MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-21655643142966459852017-05-16T17:32:00.000+05:302017-08-03T16:18:58.430+05:30केदारनाथ यात्रा: दूसरा दिन - गुप्तकाशी से त्रियुगीनारायण व गौरीकुंड
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1 मई 2017, सोमवार
हम चार जनें मैं, विकास, मोनू और "पंडत" केदारनाथ यात्रा पर थे और कल हरिद्वार से चलकर गुप्तकाशी पहुंच गये थे। वैसे तो हमारे पास इतना समय था कि हम कल ही गौरीकुंड तक पहुंच सकते थे लेकिन फिर वहां पूरा एक दिन आराम करना पडता। इसलिए गुप्तकाशी में ही रुका गया। शायद आप सब लोग जानते ही होंगे कि दीपावली के समय जब केदारनाथ MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-36196837143255875322017-05-09T00:11:00.000+05:302017-05-16T17:33:14.084+05:30केदारनाथ यात्रा: हरिद्वार से गुप्तकाशी
30 अप्रैल 2017, रविवार
परसों यानी 28 अप्रैल को अक्षय त्रितीया थी। इसी दिन गंगोत्री और यमनोत्री मंदिर के कपाट खुल गये और उत्तराखंड की सुप्रसिद्ध चार - धाम यात्रा शुरू हो गई। यमनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा ही चार धाम यात्रा कही जाती है। अभी केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खुलने बाकी हैं जो क्रमश: तीन और छह मई को खुलेंगे। उसके बाद यात्रा पूरे जोर शोर से चलेगी। देश, दुनिया के कोनेMOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-12815586145687465672017-04-19T23:42:00.001+05:302017-06-25T14:43:30.384+05:30डोडीताल से वापसी
24 दिसम्बर, शनिवार
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आज मेरी डोडीताल यात्रा का तीसरा दिन है। कल मैं अपने गाइड बलबीर के साथ बेवरा से डोडीताल आ गया था और झील की परिक्रमा व आस-पास के इलाके का अन्वेषण कर लिया था। अभी चुंकि डोडीताल यात्रा का सीजन नही है तो मेरे गाइड बलबीर ने ही बात करके हम दोनो के डोडीताल पर रुकने खाने का इंतजाम एक ढाबे पर करवाया था। आज सुबह-तडके MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-78100289953888962172017-02-17T18:08:00.000+05:302017-06-25T14:43:16.890+05:30डोडीताल यात्रा: बेवरा चट्टी से डोडीताल
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घर पर अपनी सलामती की सूचना देकर मैं और बलबीर नीचे बेवरा में चाचा के ढाबे पर लौट आये। दिन छिपने लगा था और चाचा ने डिनर की तैयारी शुरू कर दी थी। चूल्हे पर दाल पक रही थी, आलू राई की सब्जी पहले ही बन चुकी थी। मनीराम भी आ गया। मनीराम यानी मनी मूल रूप से नेपाली है और उपर डोडीताल में फ़ॉरेस्ट रेस्ट हाउस में चौकीदार है। साथ ही वह वहाँMOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-37830222669272240122016-12-29T16:33:00.001+05:302017-06-25T14:42:28.845+05:30डोडीताल यात्रा: हरिद्वार से बेवरा चट्टी
काफी समय से सोच रहा था कि डोडीताल लेक जाया जाये। पहले ओक्टूबर में, उसके बाद नवम्बर में भी जाना नही हो पाया। फिर BCMTOURING साइट पर
श्री मुकेश वर्मा जी का यात्रा वृतांत देखा। वर्मा जी पिछले साल 22 से 26
दिसम्बर तक डोडीताल ट्रैक पर गये थे। तब वहां 2-3 फीट तक ताजी बर्फ थी। उनके फोटो देखते ही तय कर लिया कि बस
मुझे भी इस साल, इसी दौरान मतलब दिसम्बर के तीसरे सप्ताह में डोडीताल जाना है। 24 दिसम्बरMOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-61176534647424455712016-11-23T20:50:00.000+05:302016-11-23T20:50:35.078+05:30हरिद्वार भ्रमण -1: बिल्केश्वर महादेव, चीला, राजाजी नेशनल पार्क और विंध्यवासिनी मंदिर
20 नवम्बर 2016, दिन - रविवार
अभी - 2 हरिद्वार भ्रमण करके लौटा हूँ। थोड़ा अच्छा सा फील हो रहा है। बहुत दिन हो गये थे घर से निकले हुए। पहले प्लान किया था कि दशहरे के टाइम पर डोडीताल जाऊँगा, वो फेल हुआ। फिर प्लान किया कि दिवाली के बाद घर से आकर 13-14 नवम्बर के आस-पास मध्यमहेश्वर जाऊँगा। मगर पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वहां भी नहीं जा पाया। उपर से मेरे पास छुट्टियाँ भी नही बची हैं, नही MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-29574722217673728842016-09-26T19:23:00.002+05:302016-12-01T17:20:49.280+05:30श्रीखंड महादेव: वापसी की यात्रा
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29 जुलाई, दिन शुक्रवार।
हमारी श्रीखंड यात्रा का आज पांचवा दिन था। कल मैंने श्रीखण्ड बाबा के दर्शन किए थे। और आज हमें अपनी वापसी की यात्रा शुरू करनी थी। आराम से साढे छह बजे सोकर उठे। नित्य कर्म से फारिग होकर चाय मैगी खायी और टेंटवाले का हिसाब करके चल पडे। भीमद्वार में हम लोग तीन दिन रुके थे। तीन लोगो के 350 रुपये प्रतिदिन पर-आदमी के MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-12435481473569420502016-09-12T13:44:00.001+05:302016-12-01T17:23:14.162+05:30श्रीखंड महादेवः साक्षात दर्शन, पार्वती बाग से श्रीखंड और वापस भीमद्वार
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28 जुलाई, दिन गुरूवार
श्रीखंड महादेव की इस महायात्रा में आज का दिन मेरे लिये सबसे महत्तवपूर्ण था। कल बारिश होने के कारण मैं दर्शन करने नहीं गया था। जबकि अनंत ने कल दर्शन कर लिये थे। आज मेरी बारी थी। सुबह साढे चार बजे मुझे हरियाणा वालों ने उठाया, "अरे ओ, मेरठ आले भाई। उठ जा। निकलना ना है के? साढे चार बज ग्ये"। "हाँ भाईसाब उठ रहा हूँ" MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-72100499890506434102016-09-06T13:53:00.000+05:302016-12-01T17:25:18.128+05:30श्रीखंड महादेव यात्रा: भीमद्वार से पार्वती बाग और अनंत ने किये श्रीखंड बाबा के दर्शन
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27 जुलाई, दिन बुधवार।
आज हमारी श्रीखंड यात्रा का सबसे महत्तवपूर्ण और सबसे कठिन दिन था। आज हमें भीमद्वार से चलकर 10 किलोमीटर दूर 5250 मीटर की उंचाई पर स्थित श्रीखंड शिला के दर्शन करके शाम तक वापस भीमद्वार आना था। रात में डिनर के दौरान तय किया कि सुबह - सुबह 4 बजे तक निकल लेंगे ताकि शाम तक आराम से वापस आ सकें। मगर जब सोने लगे तो बारिश MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-9690218197263872262016-09-03T15:15:00.000+05:302016-12-01T17:39:23.531+05:30श्रीखंड महादेव यात्राः थाचडू से भीमद्वार
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26 जुलाई 2016, दिन मंगलवार।
हमारी श्रीखंड महा-यात्रा जारी थी और कल हम लोग अपने पहले पडाव यानी थांचडू पहुंच गये थे। हमें थाचडू में ही पता चल गया था कि अब पार्वती बाग में यात्रियोंं को नही रुकने दिया जाता। वहाँ सिर्फ पुलिस, प्रशासन वाले और रेसक्यू वाले ही होते हैं। अतः आज हम लोग भीमद्वारी में रुकेंगे जो यहाँ से 10-12 किलोमीटर दूर है। सुबह MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-3080625152040569401.post-50070618818340447632016-08-24T22:36:00.000+05:302017-06-25T12:20:16.407+05:30श्रीखंड महादेव यात्रा: जांव से थाचडू
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25 जुलाई और दिन सोमवार। यानी दिन भी महादेव का और यात्रा भी महादेव की। हम दो जने, मैं और अनंत अपने श्रीखंड अभियान पर थे। और कल सुबह हरिद्वार से चलकर शाम तक बागीपुल तक पहुंच गये थे। 25 की सुबह हम लोग बागीपुल से जांव पहुंचे। जांव पहुंचकर ही हमें पता चला कि आज श्रीखंड यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन का आंखिरी दिन है। हमने तो सुना था कि MOHIT DHAMAhttp://www.blogger.com/profile/11319432057544427912noreply@blogger.com4