सोमवार, 22 अगस्त 2016

श्रीखंड महादेव यात्रा

आज मैं आपको एक ऐसी यात्रा के बारे में बताता हूँ जिसके बारे में बहुत ही कम लोगो ने सुन रखा होगा। श्रीखंड महादेव यात्रा। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में समुद्र तल से 5200 मीटर से भी ज्यादा की उंचाई पर स्थित है श्रीखंड महादेव। शिमला से स्पीति वैली की तरफ जाने वाले रास्ते पर करीब 150 किमी के बाद आता है रामपुर बुशहर। यहाँ से एक रास्ता निरमंड-बागीपुल होते हुए जांव गांव तक पहुंचता है जो श्रीखंड महादेव यात्रा का आधार स्थल है। यहाँ से श्रीखंड महादेव की 35 किलोमीटर की  पैदल महायात्रा शुरू होती है। जांव करीब 1950 मीटर की उंचाई पर है, जबकि श्रीखंड 5200 मीटर से भी अधिक ! मतलब पूरा रास्ता भयानक चढाई वाला है जो श्रीखंड को सबसे कठिन यात्राओं में से एक बनाता है। और मजे की बात ये है कि इस पूरे रास्ते पर कहीं भी खच्चर नहीं चल सकते !

लोग अमरनाथ  यात्रा पर जाते हैं तो कई सालों तक गर्व से बताते हैं कि अमरनाथ जा चुका हूँ। बहुत कठिन है! वगरह ! वगरह ! मैं अमरनाथ तो नहीं गया हूँ मगर श्रीखंड जाने के बाद इतना जरूर कहूँगा कि किसी भी सूरत में अमरनाथ यात्रा, श्रीखंड के सामने कुछ भी नहीं है। 5200 मीटर से भी अधिक की उंचाई और विषम परिस्थितियॉ होने के कारण पूरे साल में केवल 15 दिन, 15 से 30 जुलाई तक ही यात्रा का आयोजन होता है। इसमे भी कभी-2 बर्फ पड जाया करती है।

चलिए अब बात करते हैं अपनी यात्रा की।  हम दो जने थे, मै और अनंत। हम दोनो, यानी मैं और अनंत भेल हरिद्वार में एक ही विभाग में काम करते हैं। अनंत ने मई में ही नई बुलेट ली थी। जिससे वो जून में बद्रीनाथ की यात्रा भी कर आया था। अत: काफी हद तक उसको पहाड पर बाइक चलाने का अनुभव हो गया था। बडी मुश्किल से डिपार्ट्मेंट से छुट्टी लेकर हम लोग 24 जुलाई की सुबह अपने श्रीखंड अभियान पर निकल लिए। मैंने अनंत को पहले ही बता दिया था कि भाई देख यात्रा कठिन है और जहाँ तक जाया जायेगा जायेंगे, जहाँ भी दिक्कत महसूस होगी तो वहीं से वापिस आ जायेंगे। कोई हीरो-गिरी, कोई बहादुरी नहीं दिखाई जायेगी। और यकीन मानिये हीरोगिरी ना दिखाने में ही भलाई है। मगर शुक्र है उपर वाले का कि हम अपनी यात्रा सफलतापूर्वक पूर्ण करके लौटे।

24 जुलाई को  सुबह साढे पांच बजे हम लोग हरिद्वार से निकल लिए। करीब पौने आठ बजे जगाधरी बस अड्डे के पास नाश्ता किया गया। यहाँ से हम लोगो को पंचकुला होते हुए शिमला जाना था। जगाधरी से पंचकुला जाने के दो रास्ते हैं। एक अम्बाला होते हुए और दूसरा व छोटा रास्ता बिलासपुर-नरायणगढ होते हुए। नाश्ता करते हुए दुकान पर ही एक सरदार जी से पंचकुला का रास्ता पूछा तो उन्होने भी अम्बाला वाले रास्ते से जाने को ही कहा। मगर हम सरदार जी की बात न मानकर बिलासपुर वाले रास्ते पर मुड लिये। पंचकुला तक का पूरा रास्ता अच्छा बना हुआ है और ट्रैफिक बहुत ही कम है। हम दस बजे के आस-पास पंचकुला पहुंच गये। यहाँ से जिरकपुर-शिमला रोड पकड ली। क्या मस्त रोड बनी है यह। हिमालयन एक्सप्रेस-वे नाम है शायद। जल्द ही हम हरियाणा छोडकर हिमाचल में प्रवेश कर गये और पहाडी रास्ता शुरू हो गया और  अब हाइवे फॉर लेन से टू लेन का हो गया। ट्रेफिक भी बडा भयंकर ही था शिमला रोड पर। अनंत  को प्रेशर लगा तो धर्मपुर से आगे एक जगह रुके जहाँ अनंत फारिग हुआ, फिर चाय पी गयी। यहाँ हल्की-2 बारिश शुरू हो गयी तो रेनकोट पहन लिए गये। भयंकर ट्रेफिक से जूझते हुए करीब डेढ बजे हम लोग शिमला पहुंचे। सीधे माल रोड गये जहाँ से मैंने एक स्वेटर और गर्म लोवर खरीदा। लंच किया और अनंत ने शेव बनवायी क्योंकि अगले एक हफ्ते में दाढी काफी बडी हो जानी थी। करीब ढाई-पौने तीन बजे हम लोग शिमला से निकले। कुफरी-ठियोग होते हुए करीब साढे पांच बजे हम नारकंडा पहुंचे। नारकंडा करीब 2900 मीटर की उंचाई पर है। कुफरी से नारकंडा तक जहाँ चढाई वाला रास्ता है वहीं नारकंडा से आगे पूरा रास्ता उतराई वाला है। और पूरे रास्ते पर जम के सेब की खेती होती है। नारकंडा से आगे एक जगह पेड से ताजा सेब तोडकर खाया गया।

कुमारसैन के पास सतलुज नदी के प्रथम दर्शन होते हैं। किंगल के पास से एक रास्ता जलोडी जोत - सैंज - बंजर होते हुए कुल्लू जाता है। ये पूरा इलाका तीर्थन-घाटी के नाम से जाना जाता है एव्ं पर्यटकों के बीच इतना अधिक प्रसिद्ध नहीं है। इस रास्ते पर जलोडी-जोत एक दर्रा है जो कि लगभग 3200 मीटर की उंचाई पर स्थित है। कभी टाइम मिले तो जायिएगा इधर जरूर। खैर! हमे दत्तनगर पहुंचते-2 दिन छिपने लगा था। दत्तनगर में ही सतलुज जल विद्युत निगम का 4*110 मेगावाट रामपुर जल विद्युत प्लांट है जिसे बीएचईएल ने ही लगाया है। रामपुर से थोडा पहले ही सतलुज पार करके एक रास्ता निरमंड-बागीपुल होते हुए जांव तक जाता है। यहाँ से निरमंड करीब 14 किमी है जबकि निरमंड से बागीपुल 16 किमी। हमने तय किया कि निरमंड तक चलते हैं, काफी बडा गांव है वहीं-कहीं रात में रूक जायेंगे और कल सुबह आगे के लिए निकल लेंगे।

निरमंड पहुंचकर अनंत बोला कि सर जांव तक ही चलते हैं थोडा लेट हो जायेंगे तो भी क्या दिक्कत है। हाँलाकि दिक्कत तो वैसे कुछ नही थी मगर एक तो रात के समय यात्रा नही करना चाहता था और जो दूसरी और मुख्य समस्या थी कि जांव एक छोटा सा गांव है पता नहीं रात के 9-10 बजे वहां कहीं रुकने का ठिकाना मिलेगा भी कि नहीं। मगर ये समस्या  निरमंड के दो बुजुर्गों ने सुलझा दी। जब हमने उनसे पूछा कि "चाचा, हम श्रीखंड जा रहे हैं। अगर आज जांव तक पहुंचे तो वहां रुकने के लिए कुछ मिलेगा।" तो उन्होने कहा " बेटा, बेफिकर चले जाओ। आराम से मिल जायेगा।" और हम लोग आगे बढ गये। करीब साढे आठ बजे हम लोग बागीपुल पहुंचे। यहाँ बिलासपुर वालों का लंगर लगा था। भूख भी जोरो की लगी थी तो बस बाइक यहीं रोक दी गयी। पास में ही एक फौजी अंकल के यहाँ एक कमरा लिया गया। और जम के लंगर छका। बागीपुल में सिर्फ ऐयरटेल और बीएसएनल ही काम करता है और दुर्भाग्य से हम दोनो के पास इनमें से किसी का भी सिम नहीं था। फौजी अंकल के फोन से ही घर पर सूचना दे दी गयी कि सही-सलामत यात्रा के आधार स्थल के करीब पहुंच गये हैं और ये भी बता दिया कि अब अगले 5-6 दिन नेट्वर्क नही मिलेगा तो बात नही हो पायेगी। किसी बात कि चिंता ना करें, बाबा की कृपा रहेगी। बागीपुल से जांव 5 किमी है जहाँ से हमें अपनी पैदल यात्रा की शुरूआत करनी है। सुबह 8 बजे जांव के लिए निकल लिये।

श्रीखंड महादेव की पैदल यात्रा का विवरण - मुख्य पडाव, उनकी दूरी और समुद्रतल से उंचाई 

अ‍नंत - एक छोटे भाई जैसा साथी

भेल हरिद्द्वार स्थित अपने "क्वाटर" के सामने चौधरी साब

रेडी - स्टेडी - पो: श्रीखंड महादेव यात्रा की शुरूआत

जिरकपुर - पिंजौर रोड के किनारे अनंत

सोलन से पहले सडक चौडीकरण का कार्य चल रहा है।

शिमला - पीछे के घर देख लिए हों तो ये बोर्ड भी देख लो जरा। लिखा है कि यहाँ से आगे पुलिया क्षतिग्रस्त है।

इस बार अनंत

एक और बार अनंत

ठ्योग से आगे सेब के पेड़

नारकंडा से आगे अनंत सेब तोडते हुए !

सतलुज के प्रथम दर्शन

सतलुज किनारे अनंत - जगह है निरमंड रोड

देख लीजिये ! ये है रामपुर - निरमंड रोड
रात के समय निरमंड रोड़ से दिखता रामपुर हाइड्रो प्लांट और उसकी टाउनशिप

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7 टिप्‍पणियां:

  1. bahut achchha bhai. apki yatra ka vrataant aisa hota hai ki padhhne wale ko bhi aisa ahsas hota hai ki mano wo bhi yatra kar raha ho.

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    1. धन्यवाद अमरदीप। इस बार तू भी चल भाई कहींं !

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  2. वाह साहब!!
    आपने यात्रा का वृतांत इतनी खूबसूरती के साथ किया है जो कि अत्यधिक सराहनीय है। यात्रा के प्रथम चरण के हर बिन्दुओं को आपने जिस खूबसूरती एवं लहजे मे सिमेटा है, यह, वहां हमारे द्वारा जिये गये हर पलों को हमेशा तरोताज़ा रखेगा।
    उन खूबसूरत यादों को एकीकृत करने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद एवं आगामी वृतांत के लिये भी ढेरों शुभकामनाएं।।
    "हर हर महादेव"

    आपका अपना -
    अनंत

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  3. बहुत खूबसूरती के साथ वर्णित किया है सर आप ने। अगले भाग का इंतजार रहेगा।

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  4. बहुत खूबसूरती के साथ वर्णित किया है सर आप ने। अगले भाग का इंतजार रहेगा।

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